Sunday, November 7, 2010

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मरते मरते सोचा .......तुझे  फ़िर एक बार देख लूं
दरवाज़े को खटखटाया , दरार से झाँका

सब बदला बदला सा पाया ......
फिर ना रो या फिर हँस सा पाया .....